Priyanka06

Add To collaction

लेखनी कहानी -29-Apr-2022 परियों का जहां कहां

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-परियों का जहां कहां(ममस्पयी कविता)

धरती तो यहां है
आसमा भी यहां है

सुनाती थी नानी मां
परियों की कहानियां

वो परियों का जहां कहां 
जहां बसते हैं फरिश्ते
धरती पर बसते हैं दरिंदे

हे भगवान अब कहां है तू
ढूंढ रही है मेरी आंखें
नोच डाला मेरे जिस्म को
जानवर जैसा किया सलूक
हे भगवान अब कहां है तू

कर तो न्याय अब मेरे साथ
क्या कसूर था मेरा
छीन लिया मेरा बालपन
रौंद दिया दरिंदों ने मेरा कल

दरिंदों ने दिया ऐसा जख्म
बदलदी दुनिया से मेरी फितरत
छीन ली आज मेरी मासूमियत
फिर कभी नहीं आ सकेगी वह हंसी

कर रही हूं गुहार में
क्या मैं कभी हंस पाऊंगी
परियों के जहां में जा पाऊंगी
अब मैं दुनिया में अपना पाऊंगी

कब मिलेगा मुझे वो जन्नत
जहां रहते हैं फरिश्ते।

यह सप्ताह की १९वी कविता

   12
5 Comments

Simran Bhagat

29-Apr-2022 09:21 PM

👏👏

Reply

Neha syed

29-Apr-2022 07:37 PM

बहुत अच्छा लिखा है

Reply

Fareha Sameen

29-Apr-2022 07:28 PM

Very nice 👍

Reply